कथाकारों /आचार्यों के निर्माण के लिए श्रीहरि सत्संग समिति
द्वारा वनवासी ग्रामीण अंचलों से ही बहनों और भाइयों का चयन किया जाता है ।
इसके बाद उन्हें
समिति के देश भर में स्थापित प्रक्षिक्षण केंद्रों में पूरे अनुशासन और संयम – नियम के अनुसार 9
महीने का कथा प्रशिक्षण दिया जाता है ।
प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने पर उन
कथाकारों को रामायण, श्रीमद भागवत कथा, शिवकथा के माध्यम से वनांचलों में वनवासियों को अपनी
लोक संस्कृति, संस्कार, तथा जीवन पद्धति के बारे में शिक्षित करने के लिए गाँव में भेजा जाता है, जहाँ
वे संस्कार केंद्र में दैनिक /साप्ताहिक /पाक्षिक सत्संग – स्वाध्याय के माध्यम से ग्रामवासियों में
जागरूकता पैदा करते हैं ।
ये व्यास व आचार्य कथाकार गाँव – गाँव जा कर धर्म सभाओं का
आयोजन करवाते हैं तथा सामूहिक व्यसन मुक्ति का संकल्प करवाते हैं ।